नीम झड़ाई: हिंदू शादी की एक पवित्र परंपरा

नीम झड़ाई: हिंदू शादी की एक पवित्र परंपरा

Hindu Marriage Rituals

नीम झड़ाई (Neem Jharaai) हिंदू विवाह से जुड़ी एक प्राचीन परंपरा है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बुंदेलखंड में किया जाता है। इस अनुष्ठान का उद्देश्य विवाह से पहले वर-वधू की शुद्धि (शारीरिक व आध्यात्मिक), नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना और शुभ आशीर्वाद प्राप्त करना है। नीम झड़ाई का महत्व 🌿 ✅ शुद्धिकरण व रक्षा: नीम के पत्तों में औषधीय और रोगनाशक गुण होते हैं, जिससे वर-वधू को नकारात्मक ऊर्जा व बुरी नजर (नज़र दोष) से बचाया जाता है। ✅ वैदिक परंपरा से जुड़ाव: प्राचीन वेदों और आयुर्वेद में नीम को शुद्धि व स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। ✅ वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामनाएँ: इस अनुष्ठान के माध्यम से वर-वधू के सुखी और मंगलमय जीवन की कामना की जाती है। ✅ हल्दी रस्म से संबंध: कई समुदायों में इसे हल्दी रस्म के साथ या उसके बाद किया जाता है, जिससे विवाह से पहले वर-वधू का पूर्ण शुद्धिकरण हो। नीम झड़ाई विधि 1️⃣ नीम के पत्तों को पवित्र जल में डुबोया जाता है। 2️⃣ परिवार के बुजुर्ग और महिलाएँ इन पत्तों से वर/वधू पर जल छिड़कते हैं। 3️⃣ मंगल मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे वर-वधू को ईश्वरीय आशीर्वाद मिले। 4️⃣ अंत में, बुजुर्गों का आशीर्वाद दिया जाता है और पारंपरिक गीत गाए जाते हैं। नीम झड़ाई की उत्पत्ति 🔹 वैदिक और आयुर्वेदिक परंपरा: प्राचीन काल से ही नीम को शुद्धि और रोगनाशक गुणों के लिए उपयोग किया जाता रहा है। 🔹 लोक परंपराएँ: राजस्थान और बुंदेलखंड में यह रस्म बुरी नजर और बुरी शक्तियों से बचाव के लिए की जाती है। 🔹 हल्दी रस्म का विस्तार: कुछ समुदायों में यह हल्दी के समान ही शुद्धिकरण और मंगलकामना का प्रतीक माना जाता है। निष्कर्ष नीम झड़ाई केवल एक रस्म नहीं, बल्कि संस्कार, परंपरा और विज्ञान का संगम है। यह विवाह से पहले वर-वधू के लिए सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, और मंगलकामना का प्रतीक है। यह परंपरा आज भी कई भारतीय समुदायों में बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ निभाई जाती है। 💛 "शुद्धता, सुरक्षा और शुभ आशीर्वाद – यही है नीम झड़ाई की अनमोल परंपरा!" 💛